बांध सको तो बांध दुर्योधन

एक दुर्योधन फिर निकला है बांधने श्री कृष्ण अवतार ।

आगे बढ़ रहा अपने फौजों संग बांधने श्री कृष्ण अवतार ।।

हाँ दुर्योधन बांध मुझे लेकर आओ तुम अपनी फौज।

जंजीरों की लड़ी लगा दो खड़ी कर लो तुम अपनी फौज।।

दाव लगा दो अपनी शक्ति और लगा दो अपना दम।

हिम्मत हो तो आगे बढ़ लो प्रयोग कर लो अपना दम खम।।

खेल रहे तुम मानवता संग खेल रहे तुम प्रकृति संग।

बांध लिया तुमने नदी को अब खेल रहे हो मेरे संग।।

तेरे हीं करनी से दुर्योधन मौज लूट रहे हैं वायस सृगाल ।

अपनी हीं करनी से दुर्योधन तुम पहुँचोगे यम के द्वार।।

कौन समझाए तुमको फिर बांधने निकला है बड़ा पहाड़।

जग पालक को बोलो कैसे बांध पायेगा तेरा अहंकार।।

रोटी कपड़ा और सर पर छत बस इसकी तो जरूरत मात्र।

सुई नोक पर बात टिका कर क्यों आमंत्रित कर रहे अंत को आप।।

परम ज्ञान की अगर जरूत पुनः सुना सकता हूँ गीता ज्ञान।

अर्जुन संग तुम सब भी आना शुद्ध करना फिर आत्म ज्ञान।।

श्री कमलेश झा नगरपारा भागलपुर