एहसास जिंदा रखना

तुम्हे याद तो होगा ही जिस दिन हम मिले थे,

तुम और हम जैसे एक नए मोड़ में मुड़े थे।

हमारी उस पहली मुलाकात की याद जिंदा रखना,

अपने दिल में मेरे लिए एहसास जिंदा रखना।

दिन की शुरुआत मेरे हाथ की चाय से हुआ करती थी,

शाम ढले मुझे आपकी चाय का इंतजार रहता था।

छठ का चांद याद है आपको,

छत पर अकेले बैठे मैं और आप,

और आपके और मेरे बीच की बात।

कुछ पल हम अकेले ही रहना चाहते थे,

कुछ था हमारे बीच में ,

जो हम दोनो कहना चाहते थे।

बीत गया वो दिन, वो सारी राते बीत गई,

आपकी हर एक बात हमारी सांसे जीत गई।

आज भी इस दिल में आपके प्यार का इज़हार है,

मेरे इस जीवन को आपका इंतजार है।

आप भी मेरी यादों को अपने अंदर जिंदा रखना,

अपने दिल में मेरी बातों का एहसास जिंदा रखना।

नेहा ओझा

रायगढ़ ( छ. ग. )