मेरा मन मेरा दोस्त

ऐ दोस्त मेरी क्यों रोती हो

क्यों दुख को मन मे बोती हो तुम जो चुपके चुपके रोती हो

और तन्हा तन्हा रहती हो

मैं भी तन्हा हो जाती हूँ

और गम के तोहफे पाती हूँ 

ये जो तुम्हारी आँखें हैं

ये मुझको बेहद प्यारी हैं

तुम जानती हो ऐ दोस्त मेरी

तुम जो चुपके चुपके रोती हो

और तन्हा तन्हा रहती हो

ये तुमको तोड़ कर रख देंगे 

और तन्हा छोड़ कर चल देंगे

मैं इसीलिए तो कहती हूँ 

तुम हँसती अच्छी लगती हो। 

वंदना श्रीवास्तव