संतान

बगिया के फूल होते हैं, 

बगिया ये महकाते हैं, 

घर की रौनक होते, 

संतान कहलाते हैं। 

सदा चहकते रहते हर पल, 

आंगन में फूदकते हैं, 

आंखों में चंचलता भरे, 

माता-पिता को लुभाते हैं। 

जीवन में धन धान्य रहे, 

रहे चांदी और सोना, 

पर जहां संतान नहीं,

खाली है घर का हर कोना। 

जीवन की ये आस हैं, 

दिल को साहस देते हैं, 

हर दुख में ढाढस बंधा दे,

यह संतान ही होते हैं। 

चिराग की तरह जलते हैं, 

आंखों को सुकून मिले, 

इनके उजियारे से ही, 

रोशन ये जहां लगे। 

मुखड़ा देख कर इनका, 

दुख भूल जाए सारे,

संतोष मिलता है मन को, 

इनके साथ हम वक्त गुजारे, 

जीवन भर का साथ हो, 

जीवन बने खास, 

घर की खुशहाली के लिए, 

हर घर में एक संतान हो। 

अनामिका मिश्रा 

झारखंड जमशेदपुर, सरायकेला

फोन नंबर-8809038382