ग़ज़ल

हमें भी याद है किस्सा पुराना।

अजी छोड़ो न वो शिकवा पुराना।

तेरी यादों की जिसमें डुबकियां हैं

कहीं मुझ में है वो झरना पुराना।

हमारे सामने चेहरा नया है

मगर हाथों में है कासा पुराना।

तुम्हारी आरजू थी और रहेगी

मेरी आंखों में है सपना पुराना।

कदम मेरे उधर ही चल पड़े हैं

इन्हें भी याद है रस्ता पुराना।

मह्ब्बत में वही सब आज भी है

कहीं दरिया कहीं सहरा पुराना।

सवालों में वही ग़म दर्द वे ही

 वही है इश्क़ का पर्चा पुराना।

मेरी सांसें वो हर दिन ले रहा है

नहीं चुकता मगर क़र्ज़ा पुराना।

सत्यवान सत्य

गांव:-मुबारिकपुर

जिला:-झज्जर

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