प्यार का चिराग दिल में जला कर रखते हैं ,
भूले से तुम ढूंढ लो घर मेरा आस लगाए रखते हैं ।
रहो ग़ैर के बन कर बेशक तुम मगर रूह मेरी रहे ,
करो प्यार रकीबो से , मगर तेरी मोहब्बत मेरी रहे ।
यूं जला कर के हमें , शमां की तरह जलाए जा रहे हो ,
हमारे सामने हंस-हंसकर रकीबो को गले लगा रहे हो ।
है इल्तज़ा तुमसे बस इतना सा मेरा काम कर दो ,
दिल में मेरे बस कर तुम मुझे प्रेम करना सिखा दो ।
मौत पर यकीं नहीं मुझे ना जाने कब आ जाए ,
मगर तुम पर यकीं है तुम मौत से पहले आओगे ।
किस तरह यकीं दिलाएं हम तुमसे मोहब्बत करते हैं,
तेरे दिए हुए ज़ख्मों पर हम मरहम कांटों से लगाते हैं ।
कहो तो सरेआम ऐलान कर दे, दिल तुम्हारे नाम कर दें,
मरने के बाद ना जलाना आंखें,वसीयत आखिरी बार दें।
प्रेम बजाज
जगाधरी ( यमुनानगर)