जिंदगी की उलझनों को भूल कर,
अच्छा लगता है कभी अकेले बैठकर ,
भूली बिसरी यादों के मंजर नजर आते हैं,
कभी रोते हुए मुस्कुराते हैं तो कभी,
हंसते हुए आंसू निकल आते हैं,
यह जीवन के अनमोल रंग है
जो जीने की राह सिखाते हैं,
कहते हैं सपनों की दुनिया को ,
कोई ना समझ सका,
क्या सच क्या झूठ ना कोई परख सका,
आसमान को छूने की ख्वाहिश ,
तो हर कोई कर जाता है लेकिन
गहरे मन के कुएं को ही नहीं जान पाता है
जिंदगी में सुख और दुख है जो आते जाते हैं
वही जीने की राह सिखाते हैं ,
कहते हैं वक्त के हाथ में सबकी तकदीर होती है
आईना तो होता है मुखोटा ,
मन ही सच्ची तस्वीर होती है,
रंग रूप की चादर ओढ़ कर ,
हर कोई इंसान चमकता है
दूसरों की व्यथा वह क्या जाने,
जो खुद को नहीं समझता है,
उम्मीदों के चिरागो को जो जलाना जानते हैं,
यही सब जीने की राह सिखाते हैं,
मिनाक्षी अनुराग डालके
मनावर जिला धार