गीत- बर्बाद थे

इश्क़ में सोचा था जो

वो हमको मिला नहीं

जिसने हमको दर्द दिये

उससे मेरा गिला नहीं

ऐ नसीबा तू भी मेरा

इसमें कुछ किया नहीं

देख ली जाकर गली

फ़िर भी कुछ पाया नहीं। 

हो फ़िर भी कुछ पाया नहीं

रब्बा ठोकरें खाने के बाद

हम कितने शाद थे 

हो दिल टूटने के बाद

क्यों ना इसमें नाद थे। 

हाँ हम बर्बाद थे बर्बाद हैं बर्बाद रहेंगे

ये दिल के ज़ख़्म तो सदा आबाद रहेंगे। 

हाँ आबाद रहेंगे…. ×२

जो नवाज़िशें थीं पहले अब तो वो हैं नहीं

तू किसी को दिल में शायद है बसा लिया कहीं। 

क्या ग़लत क्या सही अब तो बता दे बे-वफ़ा

इतने नाराज़ हो क्यों मुझसे तू बे-वज़ह।

क्यों मुझसे तू बे-वज़ह

ये सब होने के बाद भी

क्यों फ़िर भी याद थे

रब्बा ठोकरें खाने के बाद

हम कितने शाद थे।

हाँ हम बर्बाद थे बर्बाद हैं बर्बाद रहेंगे

ये दिल के ज़ख़्म तो सदा आबाद रहेंगे। 

हाँ आबाद रहेंगे….. ×२

है क़रम जो तूने बख़्शा फ़िर से बख़्शों वही

मैं मरीज़-ए-ला-दवा फ़िर दवा दो वही। 

मेरी तन्हाइयों के इक तुम्हीं हो सबब

छोड़कर तन्हा मुझे हाँ ये किया गज़ब। 

हाँ ये किया गज़ब

किसके ख़्यालात में

तुम इतने आज़ाद थे

रब्बा ठोकरें खाने के बाद

हम कितने शाद थे।

हाँ हम बर्बाद थे बर्बाद हैं बर्बाद रहेंगे

ये दिल के ज़ख़्म तो सदा आबाद रहेंगे। 

हाँ आबाद रहेंगे…..

हाँ जानाँ आबाद रहेंगे। 

मो- ज़मील

अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) 

मो- 9065328412

पिन कोड- 847401