प्रत्येक नववर्ष का आरंभ नव संकल्प के साथ होता है। प्रत्येक व्यक्ति के नववर्ष के लेकर अपने अपने संकल्प होते हैं। लेकिन गत् दो वर्षों से जिस तरह का माहौल बना हुआ है उसमें ऐसा ही प्रतीत होता है कि हम सभी का मानों एक ही संकल्प हो और वह है कोरोना से निजात पाना।
वैसे मानव जाति की सबसे खास बात यही तो है वह बड़ी से बड़ी प्राकृतिक आपदाओं से लड़कर भी मानव सभ्यता को सुरक्षित बचा ही लेती है और वक्त का स्वभाव तो कभी बदला ही नहीं है। बहुत कुछ खोकर भी वक्त वर्तमान में जीना सिखाता है । जो कभी बंधा नहीं फिर भी सभी को बांधे रखता है , कभी घंडी के घंटों में कभी कैलेंडर की तारीखों में तो कभी रिश्तों के साथ गुजारे गए पलों में।
मानव प्रकृति ही ऐसी है कि वह वक्त के साथ चलता है । परिवर्तन को स्वीकारता है साथ स्वयं भी परिवर्तन लाने के प्रयास करता है।यही कारण है कि मानव जाति अपने आप को इस धरती पर सदियों तक स्थापित करने में समर्थ हो सकी है।
नववर्ष मनाने की परंपरा सदियों पुरानी रही है। नववर्ष को लेकर सभी में विशेष उत्साह होता है। बीते वर्ष में किए गए कार्यों का आंकलन और नए वर्ष में किए जाने वाले कार्यों की भूमिका बनाना सभी में नव ऊर्जा का संचार करता है। देखा जाए तो दिसम्बर माह के शुरुआती दिनों से ही हम सभी वर्ष भर में किए गए कार्यों को याद करना शुरू कर देते हैं साथ ही कुछ जरूरी काम पूरे करने की कोशिश में भी लग जाते हैं।
वर्ष के 364 दिन चाहे जितने उतार-चढ़ाव लिए क्यों ना हो 31 दिसंबर का दिन सभी के लिए जश्न का दिन और 1 जनवरी नई आशा , अभिलाषा, उमंग ,चाहतों ,खुशियों , नए इरादों व खुद से किए गए वादों के नाम होता है । यही तो नववर्ष की खा़स बात होती है। हम लोगों ने दुनिया में बहुत से परिवर्तन देखे हैं। दुनियां का विकास और उस विकास के साथ खुद को फलते फूलते देखा है। प्रत्येक पर्व जिस समारोह पूर्वक मनाये जाते थे उसमें अब भय के साये नज़र आने लगे हैं।
कोई भी ज़श्न मनाते समय सबसे पहले ज़हन में कोरोना संकट का विचार आता है। बेशक हम 2022 का स्वागत करने जा रहे हैं लेकिन अब हालात सच में पहले से नहीं रहे हैं। 2019 से कोरोना के कारण हमारी जीवन शैली में अनेक परिवर्तन आए हैं एक अदृश्य वायरस ने सभी सदृश्य मानवों को मास्क के पीछे छिपने पर मजबूर कर दिया है । 2020 ऐसा लगा मानो 20 – 20 का मैच खेलता हुआ निकल गया । कभी इंसान कोरोनावायरस से हारा तो कभी इंसान ने कोरोनावायरस को हराया।कुल मिलाकर पूरा वर्ष संघर्षमय रहा है ।वैसे भी जीवन कभी खुशी -कभी गम ,कभी ज्यादा-कभी कम से परिपूर्ण होता है और सही मायने में 2020 ने हमें यही दिखाया और सिखाया है , जिसे हमने 2021 में याद रखा क्योंकि …..
वक्त सदा सिखाता है
कभी हंसाता कभी रुलाता है
मजबूत इरादों वाला इंसान
कभी मात नहीं खाता है
यही कारण रहे कि कोरोना संकट से लड़ते हुए हम अपने जीवन को सम्भाल रहे हैं। बदलते वर्ष की तरह कोरोना भी अपना रूप बदल रहा है इस बार ओमिक्रान के रूप में है। लेकिन मन में है विश्वास पूरा है विश्वास कोरोना मुक्त हो जाएगा विश्व एक दिन।
इसलिए 2022 का सत्कार हम पूरे उत्साह से करेंगे। पिछले सभी अच्छे -बुरे, खट्टे -मीठे अनुभवों से सीख कुछ नया करने का संकल्प करेंगे।
ये वर्ष सभी के लिए पुनीत व मंगलकारी हो रही कामना है।
हिमाद्री ‘समर्थ’
जयपुर राजस्थान