गीत

इक दूजे वगैर रह नहीं सकते 

 दिल तोड़ने की कवायद 

 ये बात मालूम है शायद  

 फिर भी कह नहीं सकते 

 इक दूजे वगैर रह नहीं सकते   

ऐसी दीवानगी देखी मैंने 

पहली बार इतने उफान पर 

छूटेगा न साथ जुल्मों सितम 

कितना भी ढ़ाए कोई जान पर     

बात कह रहा हूं बेशक जायज

दिल तोड़ने की कवायद 

यह बात मालूम है शायद

भावनाओं में बह नहीं सकते

इक दूजे वगैर रह नहीं सकते

डूबे हैं हम प्रेम भरे हालातों में 

समाये रहते आपस की बातों में 

बेपनाह मोहब्बत के परिंदे हैं 

रहते मौज में,अपने जज्बातों में

कहता जमाना इसे नाजायज

दिल तोड़ने की कवायद 

यह बात मालूम है शायद

अपने उसूलों से खामोश रहते

इक दूजे वगैर रह नहीं सकते  

दिल तोड़ने की कवायद

ये बात मालूम है शायद 

फिर भी कह नहीं सकते 

इक दूजे वगैर रह नहीं सकते

                  ….राजेंद्र कुमार सिंह

लिली आरकेड,फलैट नं-101

इंद्रानगर,वडाला पाथरडीह रोड

मेट्रो जोन,नाशिक-09,ईमेल:

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