सरकारी खजाने में नहीं बल्कि भाजपा के नेताओं और पार्षदों की जेब में जा रहा है एमसीडी का राजस्व: सौरभ भारद्वाज

नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एमसीडी का सारा राजस्व सरकारी खजाने में नहीं बल्कि भाजपा के नेताओं और पार्षदों की जेब में जा रहा है। ईस्ट एमसीडी के बिल्डिंग विभाग से जहां साल 2018-19 में 156 करोड़ का राज्सव आ रहा था, 2021-22 में वह घटकर 37 करोड़ ही रह गया। एमसीडी ने नक्शे बनाना बंद कर दिया और लोकल दुकानदारों से उसके बदले पैसा लेकर अपनी जेबें भरना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा को सरकारी खजाने में पैसा चाहिए ही नहीं क्योंकि उसके लिए तो वह दिल्ली सरकार से पैसा मांग लेगी। कर्मचारियों को तनख्वाह तेने की बात होगी तो सारा जिम्मा दिल्ली सरकार पर डाल देगी। सौरभ भारद्वाज ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि आदेश गुप्ता जी या एमसीडी का कोई मेयर जवाब दे कि सरकार के खजाने में आने वाला पैसा इतना कम क्यों हो रहा है।
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और ग्रेटर कैलाश से विधायक सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज की प्रेसवार्ता दिल्ली नगर निगम के राजस्व के बारे में है। निगम के सरकारी खजाने में जो भी पैसा आता है उसके बारे में है। आमतौर पर, चाहे वह किसी विदेश की सरकार हो, किसी राज्य की सरकार हो या किसी निगम की सरकार हो, हर सरकार के पास कुछ साधन होते हैं जिसके जरिए वह पैसा कमाते हैं। जिससे वह राजस्व इकट्ठा करते हैं और उसे खर्च करने के भी कुछ तरीके होते हैं।
अब यह सीधी सी बात है कि जनता की जेब से जो पैसा लगेगा उसमें हर सरकार के पास, हर राजनीतिक पार्टी के पास दो विकल्प होते हैं। या तो वह पैसा नेता की जेब में जाएगा और या तो वह पैसा सरकारी खजाने में जाएगा। अब आप चाहे किसी भी विभाग की बात कर लें, एक आम आदमी तो पार्टी के लिए 20 रुपए दे ही रहा है, यदि वह दिल्ली में गाड़ी खड़ी कर रहा है तो उसके लिए 20 रुपए प्रति घंटा दे ही रहा है। वह पैसा या तो किसी नेता की जेब में जा रहा है, या वह एमसीडी के खजाने में जा रहा है। यही भ्रष्टाचार है। दिल्ली में कोई भी आकर झुग्गी बना रहा है, घर बना रहा है, कोठी बना रहा है या बंगला बना रहा है, तो उसकी जेब से पैसा जा रहा है। और एमसीडी का ही व्यक्ति उससे पैसा लेकर जा रहा है। अब यह सोच लीजिए कि यह पैसा किसी पार्षद की जेब में जा रहा है, किसी अफसर की जेब में जा रहा है, किसी मेयर की जेब में जा रहा है, या एमसीडी के सरकारी खजाने में जा रहा है। यदि वह पैसा जेबों में जा रहा है तो खजाना तो खाली रहेगा ही। अगर जेबों पर थोड़ा नियंत्रण रखोंगे तो खजाने भरेंगे। यह सीधा-सीधा देश की हर सरकार का उसूल होता है।
कुछ दस्तावेज पेश करते हुए उन्होंने कहा कि आज हमारे पास ईस्ट एमसीडी से जुड़े कुछ आंकड़े आए हैं, जिसकी लिस्ट ईस्ट एमसीडी के नेता प्रतिपक्ष ने कमिश्नर साहब से मांगी थी। उसके अनुसार साल 2017-2018 में बिल्डिंग विभाग के पास नक्शा पास करने के लिए और कम्पलीशन सर्टिफिकेट देने के लिए 119 करोड़ का रेवेन्यू इकट्ठा हुआ। अगले साल ज्यादा इमारते बनी होंगी तो और ज्यादा पैसा आया। अगले साल यानी 2018-19 में 156 करोड़ रुपए का रेवेन्यू इकट्ठा हुआ। दरअसल, 2018 में नए-नए पार्षद चुने गए थे उन्हें जानकारी ही नहीं थी कहां से पैसा कमाना है। साल 2018-19 तक धीरे-धीरे सीख रहे होंगे और 2019 तक सीख गए। तो साल 2019-20 में यह रेवेन्यू 156 करोड़ से घटकर सीधा 82 करोड़ पर आ गया। मतलब, अब पैसा जेब में जाना शुरू हो गया। साल 2020-21 में यह रेवेन्यू घटकर 39 करोड़ ही रह गया। और 2021-22 में यह रेवेन्यू घटकर 37 करोड़ रह गया।
एमसीडी ने नक्शे बनाना बंद कर दिया। लोकल दुकानदारों से कहा कि दुकानें खोल लो, नक्शा बनाने की क्या जरूरत है। जो पैसा बनता है, वह यहां लाकर दे दो। कम्प्लीशन सर्टिफिकेट की क्या जरूरत है, आप बनाओ, चलाओ दुकान और पैसा हमें दो। तो कहने का मतलब यह है कि ईस्ट एमसीडी के बिल्डिंग विभाग के पास रेवेन्यू के तौर पर साल 18-19 में 156 करोड़ आता था और साल 21-22 में वह घटकर 37 करोड़ हो गया। जबकि हर साल इमारतें और ज्यादा बनती जा रही हैं। तो सवाल यह उठता है कि जो रेवेन्यू हर साल बढ़ना चाहिए था, वह घट क्यों रहा है?
प्रश्न उठाते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि क्या भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता जी या एमसीडी का कोई मेयर इसका जवाब देगा कि आपका रेवेन्यू, सरकार के खजाने में आने वाला पैसा इतना कम क्यों हो रहा है। लोगों से जो पैसा लिया जाता था, यह तो सभी जानते हैं कि बिल्डिंग विभाग का सबसे महत्वपूर्ण अफसर बेलदार है। जो कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम करता है। जैसे ही आपके घर पर ईंट, सीमेंट, सरिया आएगा, बेलदार आपके घर आएगा, सारा घर देखेगा और बता देगा कि आपके घर में तीन लिंटर हैं उसके हिसाब से आपको 9 लाख रुपए देना है। वह पैसा आपको देना पड़ेगा। पहले लिंटर के लिए जहां एक-डेढ़ लाख रुपए देना होता था, उसे बढ़ाकर इन्होंने लगभग 4 लाख कर दिया है। लेकिन ईस्ट एमसीडी में जो पैसा सरकार के पास आता था वह साल 18-19 में 156 करोड़ आता था और अब साल 21-22 में सिर्फ 37 करोड़ आ रहा है। भाजपा शासित ईस्ट एमसीडी बताए कि ऐसा क्या कारण है कि रेवेन्यू इतना कम हो गया। भाजपा का हिसाब-किताब कितना अच्छा है। उन्हें तो सरकारी खजाने में पैसा चाहिए ही नहीं क्योंकि उसके लिए तो वह दिल्ली सरकार से पैसा मांग लेगी। कर्मचारियों को तनख्वाह देनी होगी तो दिल्ली सरकार पर जिम्मा डाल देंगे। यहां खजाने में जो करोडों पैसा आना चाहिए था, वह पैसा तो पार्षदों को बांट रहे हैं। उससे बीजेपी मालामाल होगी और दिल्ली सरकार परेशान होगी। आदेश गुप्ता ने आजतक कोई जवाब नहीं दिया है। हमें पता है कि आज भी वह अपना रिकॉर्ड कायम रखेंगे और चुप्पी साधे खड़े रहेंगे। इसका जवाब भी उनके पास नहीं होगा लेकिन हम उनसे सवाल करते रहेंगे।