वो गुनाह ना करना

शब्दों में भूल कर, तुम जज्बातों को बयां ना करना।

दिले दर्द ना समझेगा कोई भी,वक्त पहले ना मरना। 

वाह वाही करने वाले, अक्सर फरेबी ही हुआ करते , 

थोड़ी सहानुभूति के बदले,ज्यादा हर्जाना ना भरना। 

अपनापन  सबको देना, पर उम्मीद ज्यादा ना करना। 

अजनबियों का मेला लगा,हर कहीं पर तू ना ठहरना। 

ज्यादा नहीं,कुछ हुनर तो जगा ही लेना तू अपने अंदर,

भावनाएं आहत हो जाएगी,तू हर कदम ना बिखरना। 

सहानुभूति, करुणा, दया, भावना  हर जन में भरना।

शब्द तीक्ष्ण बाण से, लहूलुहान किसी को ना करना।

जिस पर  बितती, उसी को होता है एहसास दर्द का,

सब ठीक,झुठी सहानुभूति के धारदार वार से डरना।

किसी की आंखों में आंसू  आए, वो गुनाह ना करना। 

जख्म ना दिखाना, तू जमाने से लड़ने का दम भरना।

परख उन्हें जिनकी सहानुभूति में हो अलग अनुभूति,

सामना कर सच का, खोखली धमकियों से ना डरना।

वीणा वैष्णव रागिनी

     राजसमंद     राजस्थान9928640870