भीड़ पड़ी है भारी हम पर,
प्रभुजी आ जाओ एक बार ।
मझधार पड़ी है नैया मेरी ,
प्रभुजी लगा दो आकर पार।।
चीर बढा़ने आओ कान्हा,
द्रौपदी करे सभा में पुकार।
लाज बचाने की खातिर,
कान्हा जाओ तो एक बार।।
बरसों से अखियाँ राह निहारे,
सुमन बिछाऊँ मैं हर बार।
जूठे बेरों को खाने के लिए,
सबरी करती प्रभुजी पुकार।।
वासर रैना नीर बहाएँ
टूटे नहीं प्रेम के तार ।
बीत गए अनगिनत वर्ष,
राधा की प्रभु सुनो पुकार।।
नारायण का नाम पुकारूँ,
प्रतिदिन सहता हूँ अत्याचार।
रक्षण करने भक्त पहलाद का,
प्रभु जी आ जाओ एक बार।।
ऋषि-मुनियों के यज्ञ के हेतु,
रावण का करने उद्धार ।
मर्यादा का पाठ पढ़ाने,
श्री राम जी आओ एक बार।।
द्वारिकाधीश जपे आठों याम,
कृष्ण मुरारी मेरे करतार ।
मित्रता निभाने कहें सुदामा,
बालसखा आ जाओ एक बार।।
गीता देवी
औरैया उत्तर प्रदेश