गीत भी तुम साज भी तुम
कल भी तुम मेरे आज भी तुम
मेरे सूने एकाकी जीवन की
मीठी मधुर आवाज़ भी तुम
अंदाज़ भी तुम आगाज़ भी तुम
मेरे अनकहे अल्फाज़ भी तुम
मेरे लख्ते ज़िगर मेरे अरमान हो
मेरे जीवन हो सरताज़ हो तुम
मेरे जज़्बात हो तुम हमराज़ हो तुम
मेरी शर्म ओ गया मेरी लाज हो तुम
तुमसे अब सारी उम्मीदें मेरी
मेरी आशाओं की परवाज़ हो तुम
इस दर्द ए ज़िगर का इलाज़ हो तुम
मेरी शाम ओ सहर की नमाज़ हो तुम
तुमको नित देख निखरता ये चेहरा
मेरे चुलबुल मिजाज़ का राज़ हो तुम
मेरे संवरे सारे काज हो तुम
मेरे नखरे मेरे नाज़ हो तुम
इश्क़ की सच्ची रवानगी हो
मोहब्बत का मेरी रिवाज़ हो तुम
पिंकी सिंघल
अध्यापिका
शालीमार बाग दिल्ली