” ढूंढ रहे हैं ठाँव भी ” !!
संतुष्टि उतरी है मन में ,
संतुष्टि के भाव भी !
पलकों पर आकर ठहरी है,
आशाओं की नाव जी !!
तुमसे मिलना भाया ऐसा ,
भरते नई उड़ानें !
औरों की है खबर नहीं अब ,
अपनी ही हम जानें !
मुस्कानों के तीर बसी है ,
खुशियों की भी छांव जी !!
नये नये से बिम्ब हैं उभरे ,
अँखियाँ कहे कहानी !
बदला बदला सा लगता है ,
बदली राह सुहानी !
डूब गये हैं गहरी सोचें ,
ढूंढ रहे हैं ठाँव भी !!
समीकरण सब हुए पुराने ,
खोज नई जारी है !
हम तो तुझमें खोये खोये ,
बातें सब न्यारी हैं !
अपनेपन की चाह जगी है ,
नहीं ठहरते पाँव जी !!
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )
9425428598