नव वर्ष की अगुवाई !

दिसम्बर की हुई विदाई –

जनवरी की हुई अगुवाई ।

बीते वर्ष की छाप ।

कैसे भूलेंगे आप ।

उसे जब याद करेंगे –

आप जाएंगे कांप ।

दुश्मन भी ऐसी न निभाए –

जैसी उसने प्रीत निभाई ।

ठूंठ भी  न  हरे  हुए ।

बहार ने न उर छुए ।

झड़ते पातों को देख –

नयन पेड़ों के चुए ।

कोयल भी न कुहकी –

देख सूनी अमराई ।

शुभता न लाई भोर ।

तर रहीं उषा की कोर ।

सुबह से ही सुबह का –

रुदन रहा चहुंओर ।

प्राची में सिंदुरिया –

लाली ज़रा न छाई ।

नव वर्ष में दिन यशद ।

लाएंगे शुभ फल सुखद ।

जीवन को जो कर देंगे  –

सुख – शांति से समृद्ध ।

दिन में रंग वसंती –

रात शरद जुन्हाई ।

+ अशोक ‘ आनन ‘ +

   मक्सी