दिसम्बर की हुई विदाई –
जनवरी की हुई अगुवाई ।
बीते वर्ष की छाप ।
कैसे भूलेंगे आप ।
उसे जब याद करेंगे –
आप जाएंगे कांप ।
दुश्मन भी ऐसी न निभाए –
जैसी उसने प्रीत निभाई ।
ठूंठ भी न हरे हुए ।
बहार ने न उर छुए ।
झड़ते पातों को देख –
नयन पेड़ों के चुए ।
कोयल भी न कुहकी –
देख सूनी अमराई ।
शुभता न लाई भोर ।
तर रहीं उषा की कोर ।
सुबह से ही सुबह का –
रुदन रहा चहुंओर ।
प्राची में सिंदुरिया –
लाली ज़रा न छाई ।
नव वर्ष में दिन यशद ।
लाएंगे शुभ फल सुखद ।
जीवन को जो कर देंगे –
सुख – शांति से समृद्ध ।
दिन में रंग वसंती –
रात शरद जुन्हाई ।
+ अशोक ‘ आनन ‘ +
मक्सी