नई दिल्ली । देश की प्रमुख एयरलाइन इंडिगो के प्रमोटरों के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद खत्म हो गया है। इंडिगो की पेरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड के शेयरहोल्डर्स ने प्रमोटर शेयर ट्रांसफर के नियमों में बदलाव को हरी झंडी दे दी है। कंपनी के संविधान में बदलाव से को-फाउंडर राकेश गंगवाल के बाहर निकलने का रास्ता साफ हो गया है जिनका करीब दो साल से दूसरे को-फाउंडर राहुल भाटिया से विवाद चल रहा था। हाल ही में ईजीएम के बाद कंपनी ने शेयर बाजार को दी जानकारी में बताया कि उसके रिजॉल्यूशन को शेयरहोल्डर्स से जरूरी मंजूरी मिल गई है। इस संशोधन के बाद दो को-फाउंडर्स में से कोई भी एक अपनी हिस्सेदारी किसी तीसरे पक्ष को बेच सकता है। 30 सितंबर तक की जानकारी के मुताबिक भाटिया के आईजीई ग्रुप की इंडिगों में 37.83 फीसदी हिस्सेदारी थी जबकि राकेश गंगवाल के आरजीई ग्रुप की हिस्सेदारी 36.61 फीसदी थी। दोनों प्रमोटर्स ग्रुप की हिस्सेदारी 74.44 फीसदी है। भाटिया और गंगवाल के बीच कई साल से मतभेद की खबरें आ रही थीं, लेकिन जुलाई, 2019 में दोनों सार्वजनिक रूप से आमने-सामने आ गए थे। कंपनी यह दावा करती रही थी कि इसका उसके कामकाज पर कोई फर्क नहीं पड़ा है लेकिन इंडस्ट्री चाहती थी कि यह विवाद खत्म होना चाहिए। महामारी से पहले इंडिगो मुनाफा कमाने वाली देश की एकमात्र एयरलाइन थी। लेकिन अब वह घाटे में चल रही है। टाटा ग्रुप जल्दी ही एयर इंडिया की कमान अपने हाथों में लेने जा रहा है। एयर इंडिया के कायापलट के लिए टाटा 100 दिन का ब्लूप्रिंट बनाया है और विदेशी सीईओ लाने की भी तैयारी है। इससे देश के एविएशन सेक्टर में मौजूदा कंपनियों खासकर इंडिगो को कड़ी चुनौती मिल सकती है। यही वजह है कि कंपनी के प्रमोटर सारे गिले-शिकवे मिटाने को तैयार हो गए।