बस प्यार मुझे तुमसे,बस तुमसे ही चाहत है।
जो दिल से समर्पण है,बस वो ही इबादत है।।
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दीदार तेरा करने आँखें ये तरसती फिर।
इक बार तुम्हें देखूँ इस दिल की ये हसरत है।।
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तुम दूर बहुत मुझसे, हम दूर बहुत तुमसे।
नजरों में बसे हरदम,कैसी ये मुहब्बत है।।
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गफ़लत है बहुत उनको,वो रूठ के बैठे जो।
शिकवे है बहुत हमसे, हमसे ही शिकायत है।
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खामोश रहेगें लब, कुछ भी न कहेगें अब।
आँखोँ में पढ़ो मेरी लिख दी जो इबारत है।।
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धड़कन में मेरे दिलवर, तेरी ही रवानी अब।
ये साँस चले जब तक तू मुझमें सलामत है।।
कृष्णदीवानी_अंजली️
Shivpuri M.P. 473551