किस रंग रंगू

किस रंग रंगू ये नव वर्ष जहां 

काली कोई परछाई ना हो 

रहे बिखरी छटा मनोहारी

बस चारो तरफ हरियाली हो

ना गम के ताप हो सीने मे 

ना रंज कोई खून पसीने मे 

हो भाव सभी के मधुर मधुर 

चारो तरफ खुशिहाली हो 

ना कोई आपदा विपत्ति आये 

ना अपनो से दूर ये मन घबराये 

ना उजडे कोई चमन सलोना 

ना रूठे कोई दिल का कोना

ये दहशत जो थी मिटा गयी

कन्धे मिलने का सपना 

ना अब कुछ आगे ऐसा हो

मुश्किल होगा यूं जीना

कोई बर्बरता की मार न झेले 

ना लाशो के हो वो मेले

ना रूदन के वो करूण स्वर 

ना रोटी के ही कही हो लाले

करना कृपा हे मातु भवानी

होठो पर मुस्कान रहे 

आंखो मे उमंग और आस रहे

निज लक्ष्य पर बढे चले सब

ना रहे स्वार्थ, जज्बात रहे

ना कही किसी को हो कोई पीडा

ना गम से छलनी हो कोई सीना

ना जहर घुली हो हवाओं में 

ना डर हो कोई फिजाओं मे

हां ,खुशियो के रंग रंगू नव वर्ष 

गम की कोई परछाई ना हो………..

              वन्दना श्रीवास्तव 

                   स.अ.

                  जौनपुर