हम तिमिर को जीत लेंगे, ले उजाले हाथ में।
आस का सूरज उगाने, चल पड़े हैं साथ में।
वक्त की नाराजगी का,
सिलसिला है चल रहा।
एक शापित यक्ष जैसा,
गांव मेरा जल रहा।
इस जलन को नीर देंगे, नेह की बरसात में।
आस का सूरज….
ज़िन्दगी की जंग में,
ग्रहण सांसों पर लगा।
धड़कनें हैं सोचती,
कह न दो तुम अलविदा।
सांस को विश्वास देंगे, हम नवल प्रभात में।
आस का सूरज……
है परीक्षा की घड़ी,
वीर तुम हिम्मत रखो।
कृष्ण के उपदेश को,
पार्थ जैसे तुम लखो।
मुश्किलों को जीत लेंगे, संघर्षी अनुपात में।
आस का सूरज….
दुर्दिनों का दौर भी,
दूर होगा मान लो।
कौन अपना है यहाँ,
जान लो पहचान लो।
हारकर भी जीत होगी, ताप के संताप में।
आस का सूरज….
नरेन्द्र सिंह नीहार
नई दिल्ली