खण्ड-खण्ड धरा किंतु,
अखण्ड निज देश मिला।
स्वाभिमानी हिन्द में,
तपस्वी का वेश मिला।।
गरजे निज देश हेतु,
वीरों का उपदेश मिला।
मातृ-शक्ति सर्वपरि,
सनातन परिवेश मिला।।
सत्य,अहिंसा की राह में,
कर्तव्यों का निवेश मिला।
दीन हेतु सेवा-भाव,
बन्धु कर साथ विशेष मिला।।
झूठ के नाश हेतु धरा पर,
मानव का वेश मिला।
मिट जाना स्वाभिमान हेतु,
माई-बाप का आदेश मिला।।
“विनोद कुमार वियोगी”