बेटियां

अपने गांव का दिखे या ख़बर हो

खुश होती बेटियां

बिदाई के समय रुलाती बेटियां

मोबाइल बेटी का आता

पूरे घर को नजदीक कर देती बेटियां

भाई के रिजल्ट सुनकर

ससुराल में मिठाई बटवा देती बेटियां

घर आंगन के गुड्डे गुड़ियों को छोड़

बहुत दूर जा बसती बेटियाँ

घर मे बेटियों का टूटता खिलौना

डर होता आने पर डाँटेगी बेटियां

नन्ही चिड़िया सी उड़कर

ससुराल में बना लेती बसेरा बेटियां

त्यौहार पर नही आ पाने से

रिश्तो को रुला देती बेटियां 

मोबाइल पर दुःख की बातें

कभी नही बताती बेटियां

मायके-ससुराल को तराजू के

पलवो में रिश्ते तोलती बेटियां

बेटियों से मिलकर आने पर

हिम्मत आजाती 

खुशियां नाच गा उठती

बातें सुनाती नए रिश्तों के घर आंगन को

ऐसी होती प्यारी सी लाडली बेटियां 

माता- पिता की 

ता उम्र फिक्र करती बेटियां

बेटी की याद आने पर 

आँसू छलकाती अंखिया।

संजय वर्मा “दृष्टि”

मनावर (धार)