लोकतंत्र के दरख्तों पर गिद्धों का बसेरा है ।
यहां बेगुनाह आईने से……लड़ता सवेरा है ।।
सियासतदानों को नकाब रखना लाजमी है ।
वह दिन में दरियादिल और..संझा लुटेरा है ।।
इस सिस्टम की जरा खूबसूरती तो देखिए ।
खाकी,खादी एक राशि में ढै़या का फेरा है ।।
आमजन की भलाई…ऐसे कैसे हो पाएगी ।
यहां तो सोने के संडास पर..बैठा कवेरा है ।।
नीति, नियम, न्याय सब हाशिए पे हो गए
समझा करो “वंदन” सब कुर्सी का फेरा है ।।
मनीष सिंह “वंदन”
आई टाइप, आदित्यपुर
75490-11112