तसवीरें बोलती हैं

जब कभी मैं सुकून भरे पल खोजती  हूं,

एकांत में तस्वीरों का पिटारा खोलती हूँ,

क्योंकि अक्सर ये मूक तस्वीरें बोलती है,

ख़ुशी- ग़म  के सारे राज यह खोलती हैं।

ये अक़्सर ले जाती हैं यादों  के भंवर में,

खट्टे-मीठे नमकीन  जीवन  के सफ़र में,

एक पल तो ये  मुस्कुरा  खूब हँसाती हैं,

दूजे ही पल विछोह के अश्क़ बहाती हैं।

जानते हो जब भी कभी कोई न हो पास,

ये अक्सर ही हमें देती हैं  फिर नई आस,

हमारे दिल  को तो  ये बख़ूबी टटोलती हैं,

ख़ामोशी में ये तस्वीरें ही हमसे बोलती हैं।

अनामिका चौकसे”अनु”

 नरसिंहपुर मप्र