रसोई के दो हाथ..

बिजली चली जाने से

उदास हैं 

रसोई के दो हाथ

सोच रहा है कोई कोना

अब कैसे पिसेगी मूंग-दाल

कैसे बनेंगे मुगौड़े।

बैठक में दहला फांस खेलते 

एक दर्जन हाथ ठहाके मार रहे हैं

नाक खोज रही है 

कड़ाही से उठती 

पकते तेल की महक।

उधर रसोई से

अब उठने लगा है

सिल-लोढ़े का स्वर।           

     • प्रमोद दीक्षित मलय

शिक्षक, बांदा (उ.प्र.)

मोबा – 9452085234