इंतजार इस दुल्हन का

ऋतु कोई भी आए ,फर्क नहीं पड़ता

मेरे लिए हर ऋतु एक समान है

क्योंकि ऐसी कोई ऋतु नहीं आई

जब मैंने तुम्हें जी भर के देखा हो

निशीथ रजनी आयी

 विभावरी निशा भी आयी पर तुम नहीं आए

काफी बार नफरत करना चाही

तुमसे लेकिन !

हर बार तुम्हारा प्रेम रुपी आलिंगन  

याद आ गया

सभी को देखती हूं

अपने प्रियतम के साथ सौहार्द्र करते हुए

धड़कन धक हो जाती है, लेकिन!

 हर बार की तरह तुम्हारी धड़कन नहीं सुन पाती

धरा के कर्ज को सौभाग्य ने चुका दिया

किंतु !

भार्या के प्यार को बीच भंवर में ही

आपको छोड़कर जाना पड़ा

सभी ने कहा भूल जाओ

और फ्रक करो…

वह देश की शहादत पर अमर हो गए हैं

लेकिन उनको कौन बताए ?

फक्र !आज  से नहीं पहली नजर से ही हो गया था

लेकिन भूल कैसे जाऊं?????

जाते वक्त आपने ही कहा था_:

” कब आऊंगा ये नहीं पता लेकिन आऊंगा

और तुम्हारा ही होकर आऊंगा “।

इसलिए मेरा इंतजार ..

करना मैं जरूर आऊंगा…

निशा शर्मा

(प्रयागराज, उत्तर प्रदेश )