तिथी , दिनांक या वार
क्या मायने रखते अब
मेरी जिंदगी में
जब से तू गया ए हमदम
टूट गये , भूल गये सब
सिर्फ तेरे गम़ में।।
न वार याद न तिथी ही
क्या फर्क पड़ता मेरे
बेरंग सी खुशियों में
बदल गई मेरी हर खुशियां
अविरल, अचल से मेरे
इस गम़ में।।
जानती हूं गये तुम वहां
जहां से लौट आना न
संभव है
पर तुम ही बताओ
सनम दाम़न में भरे
अब सिर्फ गम़ है।।
तेरी यादों के सहारे
पल-पल काटना भी
न अब संभव है
बुला लो मुझे भी अपने
करीब सनम इस दूरी में
समाया अति गम़ है।।
वीना आडवानी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
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