रामराज्य की चाह में तुमने,
कितने वन अब तक काटे।
हिन्दू मुस्लिम नाम धर्म पर,
जाने कितने जन बांटे।
कोई सोने की लंका में,
देखो अब तक रहता है।
कोई सर्दी में भी कांपता,
बिन चादर के सोता है।
कोई सौ व्यंजन खा कर भी,
पूरी नींद नहीं लेता।
कोई तरसे है रोटी को,
भूखे पेट नहीं सोता।
न समानता शिक्षा में,
कितना फैला है भ्रष्टाचार।
आरोपी कितने मारे अब तक,
कितना फैला व्यभिचार।
जब इसकी गिनती हो जाएगी,
सुख शांति से धरती हर्षायेगी।
तब आएगा ये रामराज्य,
तुम इतना हमेशा रखना याद।
मिट जाएगा जब भेदवाद,
हट जाएगा जब जातिवाद।
जब होगा हर व्यक्ति का सम्मान,
तब रामराज्य आ जायेगा।
तब रामराज्य आ जायेगा।
इंदु विवेक उदैनिया
उरई (उत्तर प्रदेश)