वो कौन थी

रात अंधेरी काली थी ,

कुछ बात डराने वाली थी।

झींगुर की आवाजों के बीच ,

दिख रही मतवाली थी ।

झांझर उसकी छम छम करती ,

पास बुलाने वाली थी ।

दिखी ना उसकी परछाई ,

ये बात डराने वाली थी ।

घर का कोना पकड़ कर बैठे ,

अब जान पर आने वाली थी ।

बात हकीकत है या धोखा ,

खुद को समझाने वाली थी ।

वो कौन थी नार जो ,

उजले कपड़ों वाली थी ।

पाँव थे उसके उल्टे और वो ,

 पास में आने वाली ।

घर में थे हम बिल्कुल अकेले ,

ये बात डराने वाली थी ।

धड़कन मेरी बढ़ रही थी ,

जैसे अब जाने पे आने वाली थी।

वो कौन थी न जाने जो ,

मेरे पास में आने वाली थी ।

छूट रहा था खूब पसीना ,

मानों मैं प्राण गंवाने वाली थी।

सारे देव को याद कर लिया ,

कोई आफत आने वाली थी ।

सांसे भी अब रूक सी रही थी ,

मैं होश गवाने वाली थी ।

इतने में हिम्मत सी आई ,

मैं खुद को समझाने वाली थी।

डरी नहीं जो किसी के आगे ,

वो हार मानने वाली थी ।

देख अडिग सा खो गई छाया,

उस पल मैं मुस्काने वाली थी।

वो कौन थी जिसके संग मैं ,

आज रात बिताने वाली थी।

सोच इसी बात को अब मैं ,

रात बिताने वाली थी ।

एक पल रोने वाली थी मैं ,

एक पल मुस्काने वाली थी।।

 पूनम शर्मा स्नेहिल☯️

गोरखपुर उत्तर प्रदेश