-भूपेन्द्र गुप्ता
पूरे देश की नजर उत्तर प्रदेश पर है। प्रधानमंत्री की आखिरी दौर में ताबड़ तोड़ रैलियों और बाबा की अनुपस्थिति ने मैच को रोचक बना दिया है। संदेश चला गया है कि योगी की अपील छठवें और सातवें राऊंड में उत्पादक नहीं रही। अभी-अभी उत्तर प्रदेश से लौटकर जो समझा वह उत्तर प्रदेश में मुझे इशारों ने समझाया है। झांसी में एक परिचित संघ के नेता से पारिवारिक आयोजन में मैंने पूछा कि भाई साब क्या स्थिति है? तो उन्होंने इशारे से कहा कि भाई साहब पहले भरोसा था अब उम्मीद है? यानि अब उत्तर प्रदेश के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी उम्मीद से है।
किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी के साईड इफेक्ट से जूझती भाजपा को अंत में मंहगाई और बेरोजगारी का व्यूह भेदने में पसीना आ गया है। छठे राऊंड में महिला मतदान में 3 फीसदी की वृद्धि भी लड़की हूं लड़ सकती हूं के नारे के चलने का संकेत है।
उत्तर प्रदेश का यह चुनाव टाईट कर दिया, 80 बनाम 20, हिंदू -मुसलमान, चर्बी-गर्मी से होता हुआ भर्ती पर टिक गया है और नमक खाया है से होता हुआ अंततः बिना किसी मुद्दे के सातवें चरण में सिमट गया है ।
सपा तो बाबा की बैड गवर्नेंस का लाभ देखकर ही दौड़ लगा रही है और उसकी कमाई क्रिप्टो करेंसी की तरह उछल रही है। अगर कांग्रेस महिला वोटों में सेंध मार रही है तो भाजपा का घाटा बढ़ रहा है, मायावती अपना वोट रोक लेती हैं तो सपा का लाभ कम जरूर होता है मगर भाजपा तो घाटे में ही रहती है। किसान और छुट्टा सांड पहले ही भाजपा की नाक में दम किये हुये हैं। भाजपा को कुछ हद तक फ्री राशन ने और गुंडागर्दी की नकेल के नाम पर आसरा मिल रहा है। जनता के मुद्दे इतने हावी हैं कि कानपुर में तो एक टैक्सी ड्राइवर ने कहा “साहब मैं साहू हूं..झूठ नहीं बोलूंगा..वोट तो बीजेपी को दिया है मगर प्रदेश में बेरोजगारी ने सूरत बिगाड़ दी है, महंगाई आसमान तोड़ रही है मैं भी खुश नहीं हूं ।यह हालत उस मतदाता की है जिसने भाजपा को वोट देने के बाद भी दुख व्यक्त किया है। ब्राह्मण समाज घर बैठ गया है, सजग समाज डट गया है और कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश की तस्वीर कांटे में फंसी हुई है। कानपुर में अजय कपूर की स्थिति गरीबों ने बहुत अच्छी बताई और कहा कि कांग्रेस इस सीट की उम्मीद कर सकती है।
बड़ी मात्रा में गरीबों को वोट डालने से वंचित होना पड़ा है, डिलीटेड , शिफ्टेड और मृत मतदाता के नामों का कितना सुधार विपक्ष करवा सका है यह भी एक महत्वपूर्ण फैक्टर है। कानपुर में एलएमएल के बंद होने से फैली बेरोजगारी का व्यापक असर है तो बुंदेलखंड में पलायन का। किसान आवारा पशुओं, मंहगी बिजली से परेशान है। पोस्टल वैलेट से सरकार समर्थन की उम्मीद कर रही है। कई जगह इसी कारण लोगों ने टिप्पणी की कि भाजपा की गिनती तो 10 हजार से शुरू होनी है। हालांकि सभी का मानना है कि यूपी ने ओवैसी को भाव नहीं दिये और उनका बंगाल जैसा हश्र हो सकता है। सकारात्मक अनुमान है कि भाजपा की 140, गठबंधन की 160, बसपा की 30 और कांग्रेस की 20 सीटें तो स्पष्ट हैं। बची हुई 53 सीटें कांटा हिलायेंगी..। लोग सपने में आये कृष्ण जी पर भरोसा करते हैं या गंगा में उल्टी डुबकी से उम्मीद पर देखना बाकी है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)