प्रेम

°°°°

कुछ अज़ीब सा  

रिश्ता बंधने लगा है 

मेरे और तुम्हारे बीच 

जब से तुम 

‘पूनम’ का चाँद बन 

आई हो जीवन में मेरे 

शून्य-से इस जीवन में 

दिखाई देने लगी शीतल रोशनी

आत्म बंधन के साथ 

देह नहीं हो तुम  

मेरे लिए, 

अंजुरी भर चाँदनी 

ओढ़ा दूँ जिसे 

प्रेम की जड़ों में 

स्नेह, समर्पण, विश्वास का

पानी दूँ 

तुम्हारा मिलना 

गहन रहस्य से भरा है 

जिसे ढूंढ़ने की इच्छा  

बलवती होने लगी है 

प्रेम जताना नहीं आता मुझे 

बस, जीना जनता हूँ 

मौन चाहता है 

गहरी संवेदनाओं पर 

अपना अधिकार 

सुरक्षित रखना 

मेरा प्रेम 

रेत के कण नहीं 

जो यों ही बिखर जाएंगे 

हमने आशाएं पाली है 

आँखों में सपने लिए 

हमारा प्रेम पूर्णता तक 

पहुँच ही जायेगा 

पूनम का चाँद 

शक्ति पुंजबन कर 

देगा हमें लावण्य 

जहाँ आनन्द होगा 

सत्य होगा, मुक्ति होगी

और होगा 

आत्मा से आत्मा का मिलन! 

◆ राजकुमार जैन राजन  

चित्रा प्रकाशन  

आकोला -312205 (चित्तौड़गढ़) राजस्थान  

मोबाइल :  9828219919