क्या लिखूँ,,,,

इस दर्द-ए-मोहब्बत के हालात बता क्या लिखूँ।

इन डस रही तन्हाइयों की बोल क्या ख़ता लिखूँ।।

ना दिन में चैन रात भी कटती नहीं है क्या करूँ।

उस पर तेरी रुसबाईयों की छा गई घटा लिखूँ।।

क्या हालेदिल बयान करूँ मेरे हमनवा बता।

दुश्मन हुई बरसात की ये ख़ुशनुमा छटा लिखूँ।।

चूड़ियाँ खनक खनक बेचैनियाँ बढ़ा रहीं।

किस तौर बता उम्र की भरपाई लापता लिखूँ।।

पढ़ पढ़ के तेरी चिट्ठियाँ अश्कों से तरबतर हुईं।

धुंधले हुये हैं हर्फ़ इसका इलाज क्या लिखूँ।।

डॉ सोनी, मुजफ्फरपुर