देखिये 

अब न जाने कब भड़के आक्रोश देखिए

व्यवस्था पीकर पड़ी है मदहोश देखिए

खुदगर्ज़ी का आलम है कोई असर नहीं

 है सिर्फ सत्ता हथियाने का जोश देखिए

जला रहे हैं लाशों को जैसे लावारिस हों

चेहरे जुबान  जज़्बात हैं खामोश देखिये

चल रहा है शासन कछुए की चाल में

बढ़ गया महंगाई का खरगोश देखिए

मुफलिसी का पैबंद चिपका है जिस्म से

खामियों का यह बड़ा सा आगोश देखिए

डॉ टी महादेव राव 

विशाखापटनम (आंध्र प्रदेश)

9394290204