बेटे का प्यार

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इस दिल के मृदु वाद्य तरंगों

को किसने हर्षाया है

मेरे बेटे का प्यार लिपटकर

बंद लिफाफे में आया है

जीवन के तूफानों से जब

टूट चुका था अंतर्मन

उस मन को कोमलता से छूकर

जग आज बचाने आया है।

मेरे बेटे का प्यार लिपटकर

बंद लिफाफे में आया है।

सुख जीवन के श्वेत श्याम

दुख के हैं रंगीन विषय

अक्षर-अक्षर में प्रेम अनवरत

दिल को प्यार सिखलाया है।

मेरे बेटे का प्यार लिपटकर

बंद लिफाफे में आया है।

कुछ अपने मन की बातें कहता

छिपा छिपा मन में कुछ रखता

कभी हँसता, रोता,इतराता

भाव अनोखे लाया है।

मेरे बेटे का प्यार लिपटकर

बंद लिफाफे में आया है।

अक्षर कहते पढ़कर मत रोना

आँसू नहीं बहाना तुम

‘हे तात! तुम्हीं से सीखा सब कुछ

जो कुछ मैंने पाया है।’

मेरे बेटे का प्यार लिपटकर

बंद लिफाफे में आया है।

–अनिल कुुमार मिश्र,राँची,झारखंड