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प्रेम हमेशा
परिस्थितियों के अनूकुल
किया गया
समझौता होता हैं,
कोई
अपनी ज़िंदगी से
परेशान हो
किसी के पास चल देता हैं,
कोई अपने साथी से
अतृप्त हो
किसी ओर के नज़दीक
चल देता हैं ,
कोई अकेलेपन से
घबरा कर
नये दोस्तों से
जुड़ने लगता हैं,
अगर समय
और परिस्थितियाँ
हमारे मुताबिक़ हो तो
क्या कभी
हम किसी के प्रेम में
पड़ने की सोचेंगे?
जीवन में
हो रही कुछ कमियों
को हम प्रेम कर के
भूलना चाहते हैं
या ये कह सकते हैं कि
किसी कमी को
पूरा करने हेतु इंसान
प्रेम में पड़ने लगता हैं….
● रीना अग्रवाल
सोहेला (उड़ीसा)