किताबें पढ़ने का सुख अलग ही होता है और उन पलों में बरबस ही हमें मोमिन साहब का वो शेर याद आ जाता है-“तुम मिरे पास होते हो गोया, जब कोई दूसरा नहीं होता”। शायद ऐसा ही कुछ सोचकर सुप्रसिद्ध फ्रेंच दार्शनिक ज्यां-पाल सार्त्र ने कहा होगा, “इफ यू आर लोनली व्हेन यू आर अलोन, यू आर इन बैड कंपनी”।
आज जबकि हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं पर एक अघोषित संकट-सा छाया हुआ है और बड़े-बड़े प्रकाशन समूहों द्वारा प्रकाशित पत्रिकाएँ या तो बंद हो चुकी हैं या फिर बंद होने के कगार पर हैं, ऐसे समय में अपने बलबूते पर पत्र-पत्रिका निकालना आसान काम नहीं है-‘एक आग का दरिया है और डूब के जाना है’। बेगूसराय (बिहार) के श्री नरेन्द्र कुमार सिंह जी अनवरत साहित्य सेवा में लगे हुए हैं और उसी का परिणाम है कि आज उनके सम्पादन में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के जन्म क्षेत्र से प्रकाशित हिन्दी साहित्य की पत्रिका ‘समय सुरभि अनंत’ का रज़त जयंती विशेषांक हमारे समक्ष रखा है। पत्रिका ने पिछले पच्चीस बरसों का सफ़र नियमित प्रकाशन के साथ पूरा किया है और इस बीच अनेकों विशेषांक भी आते रहे हैं, जो काफ़ी चर्चित भी रहे हैं। पत्रिका का यह विशेषांक 216 पृष्ठों में अपने भीतर आलेख, कहानी, साक्षात्कार, गीत, ग़ज़ल, कविता, व्यंग्य के साथ-साथ चिकित्सा और पर्यटन भी समाए हुए है। इस अंक का कैनवास जितना बड़ा है उतना ही स्तरीय और समृद्ध भी है और विभिन्न विधाओं में एक अच्छा संतुलन उसे आलोकित और लोकप्रिय बनाने में सक्षम है। उत्तम किस्म का काग़ज़ और बेहतरीन मुद्रण इसकी गरिमा में चार चाँद लगा रहे हैं। इसके लिए संपादक महोदय और उनकी पूरी टीम की प्रशंसा की जानी चाहिए।
हमें विश्वाश है कि उनका यह उपक्रम हिन्दी साहित्य जगत् में सराहा जाएगा और तमाम पाठकों और शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। श्री नरेन्द्र कुमार सिंह जी को इस विशेषांक हेतु हार्दिक बधाई और अनवरत यात्रा की शुभकामनाएं देते हुए आपको इस उपवन में आमंत्रित करते हुए हम मशहूर व्यंग्यकार/कवि श्री रवीन्द्र नाथ त्यागी जी की इन पंक्तियों के साथ अपनी बात का समापन करते हैं-“मैंने नहीं खोज़े शब्द/शब्दों ने मुझे खोज़ा/मैंने नहीं लिखी कविता/कविता ने मुझे लिखा’/…और ‘जहाँ कहीं दिखा कोई दुखी/मेरी कलम अपने आप रुकी/जब भी आई वर्षा/मेरा प्राण पुलक-पुलक हर्षा…/तुम कभी नहीं कर सकते बंद/मेरे वर्ण, मेरे प्राण, मेरे छन्द”।
डॉ. सारिका मुकेश
एसोसिएट प्रोफ़ेसरअंग्रेजी विभागवी. आई. टी.वेल्लौर-632 014(तमिलनाडू)
मोबाइल: 81241 63491
पुस्तक का नाम-समय सुरभि अनंत (रज़त जयंती विशेषांक)
संपादक-श्री नरेन्द्र कुमार सिंहमोबाइल-94309 02695
बेगूसराय-851101संस्करण-प्रथम, 2021
मूल्य-75/-रू, पृष्ठ-216