“जिंदगी”

जिंदगी तुझे सलाम

जिंदगी के सफ़र भी है अनोखा

कभी खुशियों की अभाव,

कभी अपनों के बीच तनाव

मिले चंद पल की खुशी

तो हो जाऊं बावरी

भूल जाऊं जिंदगी राज है कितना गहरा

क्यों आता है जीवन में गमों का पहरा।

 जिंदगी

जीवन जीना एक वहम है

घिरे कई कठिनाइयों से हम है

सीने में जलन, आंखों में तूफ़ान ,

यहां हर शख्स परेशान क्यों है?

सुख देती हो

गम का ही क्यों होता है एहसास,

क्यों नहीं है जिसे चाहो वो अपने दिल के पास बस 

रह गई एक आस।

जिंदगी

है किसकी  तुझे तलाश ?

तेरे अंदर ही खुशियां हैं

फिर क्यों ये मन से खुशियों की दूरी है

मन क्यों बेचैन होता है

हरदम तेरे लिए ही रोता है

आज फिर रोना हुआ।

जिंदगी

तेरे पीछे ही भागा

तेरे सिवा कुछ न जाना

भटक सी गई है

अब मन की उड़ान

सुना- सुना सा लगे  ये जहांन

जब तक ना सोचूं जिंदगी।

जिंदगी

अब 

जिंदगी मै जीउंगी तुझे 

चाहे रो -रो के जीना पड़े मुझे

हार न मानूंगी

हर गम झेलूंगी

हस के जी लूंगी।

जिंदगी।

जलेश्वरी गेंदले✍️

पथरिया ,जिला- मुंगेली (छत्तीसगढ़)