कौन हूँ मैं 

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कष्ट बहुत सह कर भी

नव जीवन देती हूँ मैं 

सबसे पीछे खड़ी रहकर 

भी नायक ही रहती हूँ मैं 

और तुम पुछते हो

कौन हूँ मैं ?

जननी हूँ, माँ हूँ मैं 

भारत की गौरांवित गाथा

हूँ मैं 

कुरुक्षेत्र की शुरूआत हूँ मैं 

और तुम पुछते हो

कौन हूँ मैं ?

तुम कृष्ण हो तो प्रेम 

की देवी राधा हूँ मैं 

युद्ध क्षेत्र में रण चंडी 

हूँ मैं 

काली, दुर्गा और सती हूँ मैं 

और तुम पुछते हो

कौन हूँ मैं ?

आदी हूँ तो अंत भी हूँ मैं 

चारों दिशा में फैली कोण 

हूँ मैं 

वक़्त पड़े तो सब पे भारी 

हूँ मैं 

शान से कहती हूँ नारी हूँ मैं 

और तुम पुछते हो

कौन हूँ मैं ?

● रीना अग्रवाल , सोहेला (उड़ीसा)