नई दिल्ली । भारत दर्शन के लिए यात्रा पर आने वाले सैलानियों पर सरकार मेहरबान दिख रही है। यहां घूमने आने वाले विदेशी यात्रियों को जल्द ही जीएसटी रिफंड देगी। सरकार विदेशी पर्यटकों द्वारा भुगतान किये गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को वापस करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करेगी। पांच साल पहले आए जीएसटी अधिनियम में इसका प्रावधान है। अधिनियम में विदेशी पर्यटकों द्वारा देश से बाहर ले जा रहे सामनों पर जीएसटी रिफंड का प्रावधान है। सरकार अब इस प्रावधान को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। ऐसा व्यक्ति जो भारत का नागरिक नहीं है और 6 महीने से कम अवधि के लिए भारत में रुका हो, वह इस रिफंड को पा सकता है।
इस समय कई देशों में इस तरह के रिफंड की व्यवस्था है। इन देशों में अगर विदेशी पर्यटक वस्तुओं का उपभोग देश से बाहर करते हैं, तो जीएसटी या वैट के रिफंड का सिस्टम है। यह इसलिए होता है, क्योंकि आमतौर पर वस्तुओं के निर्यात पर टैक्स नहीं होता है। इस सिस्टम को एयरपोर्ट्स पर ड्यूटी फ्री दुकानों में भी अपनाया जाता है। इन देशों में एक सीमा से ऊपर उत्पाद टैक्स रिफंड के पात्र होते हैं। इस रिफंड को एयरपोर्ट पर क्लेम किया जा सकता है। रिफंड पेमेंट को या तो एयरपोर्ट पर सीधे प्राप्त किया जा सकता है या यह खरीदार के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि केंद्र एक पायलट प्रोजेक्ट की संभावना पर चर्चा कर रहा है। इसमें कॉटेज इंडस्ट्रीज एम्पोरियम जैसे आउटलेट्स शामिल होंगे। इसके बाद धीरे-धीरे मिले अनुभवों के आधार पर इसका विस्तार किया जाएगा। टैक्स विशेषज्ञ का कहना है कि इस योजना को लागू करने के लिए कई बदलावों की आवश्यकता है और इसमें समय लगेगा। पायलट प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए प्रावधान को लागू किया जाएगा। एक अधिकारी ने कहा कि इनवॉइस सिस्टम को भी अपडेट करने की जरूरत होगी। इसके लिए जीएसटी नेटवर्क आर्किटेक्चर में थोड़ा बदलाव की जरूरत होगी।
कंसल्टिंग फर्म प्राइस वाटरहाउस एंड कंपनी के पार्टनर प्रतीक जैन ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को जीएसटी रिफंड वैश्विक स्तर पर सबसे अच्छी प्रथाओं में से एक है। जब विदेशी पर्यटक भारत से सामान लेकर अपने देश जाते हैं, तो उत्पाद की ‘खपत’ भारत में नहीं हो रही होती है। इस स्थिति में उस समान का एक तरह से निर्यात होता है और निर्यात पर आमतौर पर कोई टैक्स नहीं होता। ऐसे में विदेशी पर्यटकों को जीएसटी रिफंड करना एक अच्छा चलन होगा। इससे पर्यटन क्षेत्र के साथ ही हस्तशिल्प, कपड़े आदि वस्तुओं को बढ़ावा मिलेगा। सरकार को इस रिफंड के लिए नियमों और प्रकियाओं के साथ आना होगा।’ विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी कि संभावित दुरुपयोग से बचने के लिए सिस्टम को फुलप्रूफ होना चाहिए।