नई दिल्ली । आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में मुस्लिम मौलवियों, विद्वानों और समुदाय की प्रमुख हस्तियों से मुलाकात की और कई अहम मुद्दों पर विचार विमर्श किया। आरएसएस के संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के माध्यम से यह दिल्ली के हरियाणा भवन में यह बैठक आयोजित की गई। इस मुलाकात को संघ द्वारा मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बनाने की कड़ी के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, पिछले तीन साल से संघ प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से प्रमुखता से मुस्लिमों और हिंदुओं के बीच की दूरी को पाटने की शुरुआत हुई है।
इस बैठक में भागवत के अलावा आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, राम लाल, इंद्रेश कुमार सहित आरएसएस के अन्य पदाधिकारी शामिल हुए हैं।भागवत ने 50 से अधिक मुस्लिम मौलवियों, विद्वानों से मुलाकात की, उनमें अखिल भारतीय इमाम संगठन के मुख्य इमाम उमर अहमद इलियासी, मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के पूर्व चांसलर और मौलाना अबुल कलाम आजाद के पोते फिरोज बख्त अहमद, मौलाना महमूद हसन, मौलाना नजीमुद्दीन, जुबैर गोपलानी के अलावा कई अन्य मौलवियों एवं विद्वान शामिल थे।
गौरतलब है कि सितंबर 2022 में, भागवत ने भारत में धार्मिक समावेशिता को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए कई प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी। इस बैठक का उद्देश्य आरएसएस के विचारों का प्रचार-प्रसार करना और समुदायों के बीच आपसी समझ को बढ़ावा देना था। उस दौरान ज्ञानवापी मस्जिद विवाद, हिजाब विवाद और जनसंख्या नियंत्रण जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई।
हरियाणा भवन में बृहस्पतिवार को हुई बैठक को लेकर संघ की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया। फिरोज बख्त ने कहा, भाईचारा सबसे जरूरी मुद्दा रहा। एक खाई बनाने की कोशिश हो रही है, उसे पाटने पर बात हुई। हम अलग-अलग धर्मों को मानते होंगे, लेकिन हम सभी भारतीय हैं। इमाम इलियासी ने कहा कि यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने आरएसएस के साथ मीटिंग की है। आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार वर्षों से मुस्लिम समाज के साथ संवाद कर रहे हैं।