हर ओर साजिशें रची जा रही
कौन कब कहा किसे फंसा रहा ?
कौन बन मीठा ठग रहा पता ना लग रहा
बचके रहो यहां पत्ता- पत्ता ठगा जा रहा
दिल्लगी, बेरुखी कब बनी पता ना लग रहा
कौन शरीफ, पहचान चूना लगाया जा रहा
बचना जो चाह रहा ढूंढ कर फंसाया जा रहा
फैला नफरतें, धोखे में रखा जा रहा
जाना खुदा के घर सबको क्यों भूलते जा रहे
रख एक को नोक पर उसे ही ताना जा रहा
चोट पहुंचाकर ही नहीं मरते दम तड़पाया जा रहा
तेजतर्रार के डर से दूर, नरम को दबाया जा रहा
हो रहा जब इंसान खुदा के घर छुप क्यों हो रहा
घूम- घूम क्या देखा रहा, आफत आई क्यों छूप रहा
देख ले, समझ ले, जान ले, सीमा इंसाफ अब हो रहा
लिया जाएगा हिसाब हर जुल्म का अब क्या देख रहा
सीमा रंगा इन्द्रा हरियाणा