फैमिली ड्रामा ‘दूसरी माँ’

एक माँ और बच्चे का रिश्ता शाश्वत, निस्वार्थ एवं मजबूत होता है और बिना किसी शर्त के प्यार करने पर आधारित होता है। माँ के प्यार और स्नेह की कोई सीमा नहीं होती है, लेकिन वह पेचीदा हो सकता है, खासकर जब बेटा आपके पति की नाजायज़ औलाद हो। और क्या हो अगर किस्मत आपको ऐसे बच्चे के साथ एक ही छत के नीचे रहने पर मजबूर कर दे? यशोदा और कृश्णा की कहानी कुछ ऐसी ही है, जिन्हें किस्मत एकसाथ लाकर खड़ा कर देती है

एण्डटीवी अपने दर्शकों के लिए एक फैमिली ड्रामा ‘दूसरी माँ’ लेकर आ रहा है। यह उत्तर प्रदेश में अपने पति, दो बेटियों और सास-ससुर के साथ रहने वाली एक औरत की कहानी है। वह एक खुषहाल, सुकून से भरी पारिवारिक जिंदगी बिता रही है लेकिन तभी उसकी जिंदगी में एक दुःख भरा मोड़ आता है जब वह और उसका पति अनजाने में उसके पति की नाजायज़ औलाद को गोद लेते हैं।