मीठी धुन सुना गया कोई ।।
मीठी धुन सुना गया कोई
लो फिर सुला गया कोई ।।
एक सुहानी दर्दीली आवाज़ थी
आज फिर से रुला गया कोई।।
आंखों ने देखे थे सपने कभी ,
सपनो में सुला गया कोई ।।
खोजता आज तक हर पल
तेरा आंचल छुपा गया कोई ।।
सुना है सपने सच नहीं होते
लोरी में सच सजा गया कोई।।
मां तेरा स्पर्श कैसे भूलूं
तेरा आंचल ओढा गया कोई ।।
था तेरा हाथ हाथों पर मेरे
चलना सीखा गया कोई ।।
मां जैसा कोई नही संजीव,
नन्हा शिशु बना गया कोई।।
संजीव ठाकुर रायपुर 9009 415 415