नई दिल्ली । सरकार ने कहा कि इस साल भारत के चावल उत्पादन में एक करोड़ से 1.12 करोड़ टन की गिरावट आ सकती है। खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि कई राज्यों में कम बारिश के कारण इस खरीफ सीजन में अब तक धान का रकबा 38 लाख हेक्टेयर कम है। हालांकि यह एक शुरुआती अनुमान है जो रकबे में गिरावट और औसत उपज पर आधारित है। उत्पादन में गिरावट कम हो सकती है क्योंकि जिन राज्यों में अच्छी बारिश हुई है वहां उपज में सुधार हो सकता है। फसल वर्ष 2021-22 जुलाई-जून के दौरान चावल का कुल उत्पादन 13.29 करोड़ टन रिकॉर्ड होने का अनुमान है। यह पिछले पांच वर्षों के 11.64 करोड़ टन के औसत उत्पादन से 1.38 करोड़ टन अधिक है। पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में औसत से कम बारिश ने चावल के उत्पादन पर चिंता पैदा कर दी है। इस साल पहले ही गेहूं के निर्यात और प्रतिबंधित चीनी शिपमेंट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है, जबकि उत्पादन में वह चीन के बाद दूसरे नंबर पर आता है। भारत कुल वैश्विक निर्यात का 40 फीसदी शिपमेंट करता है। उसके पास चावल का पर्याप्त भंडार भी है। विशेषज्ञ के मुताबिक उत्पादन में कमी का असर कीमतों पर देखने को मिल सकता है और चावल की कीमत बढ़ सकती है। लिहाजा सरकार अभी से इसके लिए उपाय कर रही है। निर्यात पर प्रतिबंध और शुल्क लगाना इसी का हिस्सा है।