जमातखाना में कैद हो गई शहजादी 

 ‘अलीबाबा दास्तान-ए-काबुल’, की हाल की कहानी में दिखाया गया है कि शहजादी मरियम, जमातखाना में कैद हो गई है।  अलीबाबा और उसके बच्चों की मदद से खुद को गुलाम व्यापारियों से आजाद करने की उम्मीद में, मरियम इस पूरे मामले को अपने हाथों में ले लेती है और एक सफर पर निकल पड़ती है।

एक तरफ अली, जमातखाना में सुल्तान की आत्मा के लिये दुआ करता है और वहीं दूसरी तरफ, खुशकिस्मती से मरियम को अली और उसके बच्चों से थोड़ी मदद मिल जाती है, जिससे उसे बच निकलने की उम्मीद नजर आती है। अली के बच्चे अनजाने में गुलाम व्यापारियों से मरियम को बचाते हैं, वह एक आदमी का वेश बनाकर उन्हें चकमा देती है। पहली बार अली और जोरावर का गैंग, खतरनाक व्यापारियों को खदेड़ने के लिये एकजुट होते हैं, क्योंकि मरियम खुद को जीवन की नई मुसीबतों के लिये तैयार करती है।