इन्दौर । वर्षा की बूंदें गिनी जा सकती है, धूल के कण गिने जा सकते हैं पर निर्माल्य को खाने वाले के पाप नहीं गिने जा सकते। धर्म में दिया पैसा या दान में दिया द्रव्य यानी पैसा हड़पने वाला घोर पाप का भागी बनता है।
यह बात आर्यिका पूर्णमति माता जी ने दलालबाग में जारी भक्तामर महामंडल विधान पूजन के तीसरे दिन मंगलवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने आगे धर्मसभा में सभी श्रावक-श्राविकाओं को दान या धर्म कार्य में दी राशि के महत्व को समझाते हुए कहा कि भगवान को अर्पित वस्तु को दानकर्ता को उपयोग में लाना जैन धर्म में पाप की श्रेणी माना गया है। आपने कहा कि जिस प्रकार सूर्य के निकलते ही अंधकार दूर होता है उसी प्रकार ईश्वर भक्ति से जीव के पाप भी दूर होते हैं। श्रद्धापूर्वक किया गया प्रभु स्मरण ही कल्याण करता है। तीर्थ स्थलों का पवित्र वातावरण योगियों को अत्यधिक प्रभावित करता है। चातुर्मास संयोजक विपुल बांझल व सचिन सुपारी ने बताया कि आज प्रात: से भक्तामर पूजन में बड़ी संख्या में समाजजनों ने सफेद वस्त्रों में शामिल होकर पूजन विधि सम्पन्न की वहीं शाम को शांति धारा पाठ किया गया।
विपुल बांझल ने बताया कि दलालबाग में 10 अक्टूबर तक भक्ताम्बर महाविधान का आयोजन सुबह 7 से 10 बजे तक किया जाएगा। जिसमें हजारों समाज बंधु शामिल होंगे।