चंद्रग्रहण में मंगलवार को नहीं खुलेंगे मंदिरों के पट, किन्तु होगा महामंत्र हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, का कीर्तन और जप

झाबुआ कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि पर होने वाले खग्रास चंद्रग्रहण के दौरान जिले में सभी देवालयों के पट सूर्योदय काल से ही बंद कर दिए जाएंगे, किन्तु अपवाद स्वरूप जिला मुख्यालय स्थित श्री मद् वल्लभ सम्प्रदाय के श्री गोवर्धननाथ मंदिर में ग्रहण वेधकाल के दौरान भी पट बंद नहीं होंगे, ओर यहां इस श्रीकृष्ण मंदिर में दोपहर 2 बजकर 39 मिनट के पहले अर्थात ग्रहण के स्पर्श काल के पूर्व तक दर्शनार्थी भगवान् श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप के दर्शन कर सकेंगे। शाम 6 बजकर 19 मिनट पर ग्रहण मोक्ष काल के बाद सभी देवालयों के पट खोल दिए जाएंगे और पूर्वानुसार भगवान् की पूजा अर्चना आरम्भ कर दी जाएगी। ग्रहण काल के दौरान जिले के कुछ देवालयों सहित बड़ी संख्या में व्यक्तिगत तौर पर नाम महामंत्र (“हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे,”) का कीर्तन अथवा मानसिक जप किया जाएगा।

मंगलवार को होने वाले चंद्र ग्रहण के संबंध में स्थूल गणितयुक्त कुछ पचाङ्गों में ग्रहण का उल्लेख नहीं होने से ग्रहण को लेकर आरम्भ में कुछ संशयात्मक स्थिति बनी थी, किन्तु चित्रा पक्षीय द्रश्यगणित (सूक्ष्मगणित) युक्त पच्चाङ्ग (यथा- श्रीसिद्धविजय पच्चाङ्गम्) के अनुसार ग्रहण होने के स्पष्ट उल्लेख के बाद इस संबंध में स्थिति स्पष्ट हो गई है।

ग्रहण को लेकर कई स्थानों पर उत्पन्न संशय की स्थिति को दूर करते हुए श्रीसिद्धविजय पंच्चाङ्गकर्ता, ज्योतिष विज्ञान के प्रकाण्ड विद्वान एवं अधिकारिक प्रवक्ता डॉ.(प्रो.) विष्णु कुमार शास्त्री ने इस संवाददाता को बताया कि चित्रा पक्षीय द्रश्यगणित युक्त पच्चाङानुसार ग्रहण की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है ओर कार्तिक पूर्णिमा मंगलवार 8 नवंबर को ग्रस्तोदित चन्द्र ग्रहण होगा। उक्त चंद्र ग्रहण का समय देश के विभिन्न स्थानों में चंद्रोदय से आरम्भ होकर शाम 6 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। मध्यप्रदेश में विभिन्न स्थानों जैसे इंदौर, उज्जैन में चंद्रोदय का समय 5 बजकर 43 मिनट है, जबकि भोपाल में चंद्रोदय का समय 5 बजकर 36 मिनट है। अतः उक्त स्थानीय चंद्रोदय समय के अनुसार ग्रहण के समय में भी कुछ अंतर रहेगा। डॉ. विष्णु कुमार शास्त्री के अनुसार यह ग्रहण ग्रस्तोदित होने से ग्रहण पर्वकाल प्रारम्भ होने के 12 घंटे पहले अर्थात सूर्योदय पूर्व 5 बजकर 43 मिनट से ग्रहण का वेध या सूतक काल आरम्भ हो जाएगा। ओर इस खग्रास चंद्रग्रहण का स्पर्श काल दिन में 2 बजकर 39 मिनट तथा मोक्ष काल या समाप्ति समय शाम 6 बजकर 19 मिनट पर होगा।

शास्त्री ने बताया कि ग्रहण काल में जबकि देवालयों के पट बंद कर दिए जाते हैं, और देव प्रतिमाओं का स्पर्श निषिद्ध होता है, किन्तु ग्रहण समय में उपासना, मानसिक जप अनंत गुणा फलदायक होता है, ओर इसका अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। अतः इस दौरान “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।” महामंत्र का मौन जप, स्मरण, कीर्तन किया जाना चाहिए। इस दौरान उक्त उपनिषदोक्त महामंत्र का कीर्तन या जप परम मंगलमय, सिद्धिदायक एवं प्रभु चरणारविन्दों में प्रेम जागृत करने वाला सिद्ध होता है। शास्त्रों में उल्लेखित है कि उक्त महामंत्र पुरूषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति कराने में अत्यन्त सहायक है। अतः यह महामंत्र परम जपनीय है। इसके अतिरिक्त आप अपने जो भी इष्ट देवता हैं, उनके मंत्र या नाम का भी जितना अधिक हो सके जप, कीर्तन, स्मरण करें। ग्रहण काल में ऐसा किया जाना अनंत गुणा फलदायक सिद्ध होता है।

झाबुआ निवासी पंडित हिमांशु शुक्ल द्वारा भी समाचार एजेंसी ईएमएस हेतु ग्रहण संबंधी जानकारी प्रेषित की गई। शुक्ल द्वारा भी ग्रहण संबंधी नियमों एवं साधन के बारे में दी गई जानकारी में इस संवाददाता को बताया गया कि कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा दिनांक 8 नवम्बर 2022 मंगलवार को सूर्यास्त पश्चात ग्रस्तोदय रूप मे चंद्र ग्रहण दिखेगा। जिसका प्रारंभ अर्थात स्पर्श दिन में 2:39 पर होगा। ग्रहण का मध्यकाल सायं 4:29, ग्रहण का मोक्ष अर्थात समाप्ति काल चंद्रोदय के बाद रात्रि 6:19 पर होगा। चंद्रग्रहण का सूतक यम नियम चार प्रहर पूर्व अर्थात सूर्योदय से प्रारंभ हो जाएंगे। पंडित शुक्ल के अनुसार सूतक काल में निम्नलिखित नियमों का पालन करते हुए स्वस्थ व्यक्तियों द्वारा भोजन शयन सहित सांसारिक सुखों का त्याग किया जाना चाहिए। किन्तु बालक वृद्ध रोगी तथा गर्भवती स्त्रियां एवं अशक्त मनुष्यों को उक्त भोजन संबंधी नियम में छूट दी गई है। ग्रहण काल में महामंत्र “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे,” का मानसिक रूप से स्मरण, जप करते रहना चाहिए। ग्रहण काल में यह साधन अतिश्रेष्ठ उपाय कहा गया है। सूतक के इस कालखंड में अर्थात सूर्योदय के साथ ही भगवान का स्पर्श वर्जित रहेगा। देवालय के पट एवं कपाट पूर्ववत बंद रहेंगे, तथा गृहण मोक्ष के बाद स्नान आदि से निवृत होकर के पश्चात भगवान की श्रृंगार आरती की जाएगी।