चुनाव से पहले मुफ्त सुविधाएं देना गरीबों की मदद का सबसे अच्छा तरीका नहीं : अभिजित बनर्जी

नई दिल्ली । प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने कहा कि चुनाव से पहले मुफ्त सुविधाएं देना गरीबों की मदद करने का सबसे अच्छा तरीका नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे अनुशासित करने की जरूरत है। अर्थशास्त्री और लेखक श्रेया भट्टाचार्य द्वारा संचालित ‘गुड इकोनॉमिक्स, बैड इकोनॉमिक्स’ पर एक बातचीत में भाग लेते हुए अभिजित बनर्जी ने विकासात्मक अर्थशास्त्र, अर्थव्यवस्था के व्यावहारिक मॉडल, जीवन संकट की लागत, सामाजिक सुरक्षा, वितरण प्रभाव जैसे कई प्रासंगिक मुद्दों पर बात की।
अभिजित बनर्जी ने चुनावों के दौरान मुफ्त सामग्री बांटने पर चिंता जाहिर की और कहा कि इसे अनुशासित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अब इससे बाहर निकलना काफी कठिन हो गया है। पारंपरिक और असमानतापूर्ण तरीका लोन राइट ऑफ करना था, लेकिन सबसे बड़े कर्जदार सबसे गरीब नहीं होते हैं। अभिजित बनर्जी ने समाधान की पेशकश करते हुए कहा कि अमीरों पर टैक्स लगाना अच्छा तरीका है। लेकिन चुनाव से पहले गरीबों को सामग्री वितरित करना या मुफ्त में सुविधाएं देना अच्छा तरीका नहीं है। हमारे पास बहुत अधिक असमानता है और अमीरों पर कर लगाने के लिए एक जबरदस्त तर्क है। कर का पैसा केंद्र सरकार को जा सकता है और आगे और नीचे वितरित किया जा सकता है। उन्होंने कहा अगर हमारे पास राजनीतिक इच्छा शक्ति है तो एक समर्पित फंड इस समानता और पुनर्वितरण को कम करने का तरीका है।
भारत में समानता के विस्फोट के बारे में बोलते हुए अभिजित बनर्जी ने कहा कि वास्तविक मजदूरी गिर रही है, छोटी कारों की मांग गिर रही है और ‘लक्जरी कारों’ की बिक्री बढ़ रही है। इसके अलावा यूक्रेन-रूस संकट के मद्देनजर ऊर्जा की कीमतों में विस्फोट हो रहा है। वैश्विक प्राथमिक वस्तुओं की मुद्रास्फीति गरीबों को प्रभावित करने वाली है। हम इस समय गहरी असमानता की ओर बढ़ रहे हैं।