महान भारतीय संस्कृति है आरण्यक
वैराग्य का तत्त्व इसमें अत्यावश्यक
मोक्ष प्राप्ति के लिए वैराग्य प्रथम
विद्वान बताते इसकी महत्ता हरदम
वैराग्य जीवन में सुख-शांति का साधन
इसके लिए ऋषि-मुनि करते आराधन
वैराग्य सबके अंतर्मन में सोता रहता
मन की प्रवृतियों के अनुसार जागता
पुराने संस्कार होते वैराग्य के जनक
आसक्ति के अभाव से बदती रौनक
त्याग का भाव अंकुरित और पल्लवित
त्याग संस्कृति से मानवता गौरवान्वित
होता यह पोषक, जन्मजात तथा अर्जित
भाव प्रबल से संसार में होता सुसज्जित
इसमें कर्तव्य-पथ ही बनता भक्ति-पथ
अनासक्त-भाव से धर्माचरण ही महापथ
आनंद मोहन मिश्र
विवेकानंद केंद्र विद्यालय यजाली
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अरुणाचल प्रदेश
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