भूख़  की  सत्ता

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ग़रीबों का पेट –

भूख़ की सत्ता ।

चूल्हों की आग –

अब कहां खो गई ?

उनकी छाती  –

अब ठंडी हो गई ।

रोटियों के पेड़ –

हिले न पत्ता ।

भुख़मरों का शहर –

भूख़ बदहवाश ।

भुख़मरी का सफ़र –

आदमी हताश ।

रोटियां दिखाएं –

पेट को धत्ता ।

धनवानों की –

ये रखैल रही है ।

ग़रीब ने केवल –

भूख़ ही सही है ।

भूख़ को तनख़्वाह –

ना उसे भत्ता ।

महल में रोटियां –

रोज़ गंधाएं ।

महल को रोटियां –

कब यहां भाएं ।

बदन पर थिगड़ैल –

फटा हर लत्ता ।

+ अशोक आनन +

    मक्सी